पटना। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor), जिन्हें “अवैध” अनशन पर बैठने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, ने सोमवार को नाटकीय घटनाक्रम के बाद बिना शर्त जमानत मिलने का दावा किया। गांधी मैदान में हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर प्रदर्शन करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया और दिन में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
Prashant Kishor ने जमानत लेने से इनकार कर दिया था क्योंकि शर्तों के अनुसार उन्हें लिखित में यह स्वीकार करना था कि वे भविष्य में किसी “अवैध” प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने इसे “दोष स्वीकार करने” के बराबर बताया। हालांकि, उनके वकीलों ने अदालत में यह दलील दी कि उनके खिलाफ दर्ज धाराएं जमानती हैं और शर्तें अनुचित हैं। इसके बाद, अदालत ने बिना शर्त जमानत दे दी।
प्रदर्शन और गिरफ्तारी
किशोर राज्य में सिविल सेवा अभ्यर्थियों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। वे दिसंबर में हुई बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को प्रश्नपत्र लीक के आरोपों के कारण रद्द करने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा, वे पिछले लीक की घटनाओं पर “श्वेत पत्र” और बिहार के निवासियों के लिए सरकारी नौकरियों में दो-तिहाई आरक्षण की मांग कर रहे थे। उनका अनशन 2 जनवरी को शुरू हुआ था और सोमवार सुबह उनकी गिरफ्तारी हुई। उन्होंने पुलिस पर अव्यवस्था का आरोप लगाया, जिसमें उन्हें बिना सही दस्तावेजों के एम्स पटना ले जाया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आगे की योजना
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव द्वारा पूरे प्रकरण को “फिल्म” कहने पर प्रतिक्रिया देते हुए किशोर ने कहा कि यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी मांगों का सक्रिय समर्थन करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका प्रयास बिहार के युवाओं के भविष्य के लिए है, न कि उनकी पार्टी के लिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि प्रशासन कुछ रिटायर्ड अधिकारियों के हाथों में है और मुख्यमंत्री “थके हुए” लगते हैं। किशोर ने बीपीएससी परीक्षा को रद्द कराने के लिए कानूनी कार्रवाई का भी संकेत दिया। “हमारा आंदोलन जारी रहेगा,” किशोर ने कहा, “और कल मैं बिहार के युवाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करने की आगे की योजना साझा करूंगा।” Prashant Kishor (पीटीआई)
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